सरकारी कर्मचारी की हुई बल्ले बल्ले! नई श्रम संहिता 2025 लेकर आई बड़े बदलाव New Labor Code 2025

New Labor Code 2025 – भारत में कामकाजी लोगों के लिए एक बड़ी खबर आई है। सरकार ने “नई श्रम संहिता 2025” लागू करने की दिशा में एक अहम कदम उठाया है। इस नए नियम के तहत अब कर्मचारियों को चार दिन काम करने और तीन दिन छुट्टी का विकल्प मिल सकता है। इसके साथ ही वेतन, ओवरटाइम और ग्रेच्युटी जैसे मामलों में भी कई बदलाव किए गए हैं। तो चलिए, जानते हैं कि यह नया नियम क्या है और यह आपके कामकाजी जीवन को कैसे प्रभावित करेगा।

नई श्रम संहिता 2025: क्या है?

नई श्रम संहिता 2025 सरकार का एक प्रयास है, जिसके तहत चार अलग-अलग श्रम कोड तैयार किए गए हैं:

  • वेतन संहिता (Code on Wages)
  • सामाजिक सुरक्षा संहिता (Social Security Code)
  • औद्योगिक संबंध संहिता (Industrial Relations Code)
  • व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदशा संहिता (Occupational Safety, Health and Working Conditions Code)

इन सभी को मिलाकर ही नई श्रम संहिता बनाई गई है, और इसका मुख्य उद्देश्य भारत में श्रमिकों की स्थिति को सुधारना और कार्यस्थल को ज्यादा लचीला बनाना है। इस संहिता के तहत कंपनियों को अब यह अधिकार मिलेगा कि वे सप्ताह में चार दिन काम करने का विकल्प कर्मचारियों को दे सकें। हालांकि, यह शर्त भी है कि कुल 48 घंटे का कार्य सप्ताह बने रहना चाहिए। यानी, यदि आप चार दिन काम करते हैं, तो आपको हर दिन 12 घंटे काम करना होगा।

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इस व्यवस्था के फायदे

  1. लंबा वीकेंड: कर्मचारियों को अधिक आराम मिलेगा, जिससे उनका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर रहेगा।
  2. वर्क-लाइफ बैलेंस: इससे कर्मचारियों को अपने परिवार और निजी जीवन के लिए ज्यादा समय मिलेगा।
  3. अधिक छुट्टियां: तीन दिन की छुट्टी से कर्मचारियों को तनाव कम करने का अच्छा मौका मिलेगा।

चुनौतियां भी हो सकती हैं

  • 12 घंटे का कार्यदिवस: चार दिन काम करने के लिए कर्मचारियों को 12 घंटे लगातार काम करना होगा, जो हर किसी के लिए आसान नहीं हो सकता।
  • थकान का असर: लगातार 12 घंटे काम करने से कर्मचारियों को थकान हो सकती है, जिसका असर उनकी कार्य क्षमता पर पड़ सकता है।

वेतन और ओवरटाइम में बदलाव

नई श्रम संहिता के तहत, वेतन और ओवरटाइम के नियमों में भी बदलाव किए गए हैं। चलिए, जानते हैं कि ये बदलाव किस तरह के हैं:

  • बेसिक वेतन: पहले कंपनियां अपने हिसाब से बेसिक वेतन तय करती थीं, लेकिन अब नया नियम कहता है कि कर्मचारियों का बेसिक वेतन उनकी कुल सैलरी का कम से कम 50% होना चाहिए।
  • ओवरटाइम: पहले ओवरटाइम की सीमा 8 घंटे के बाद होती थी, अब अगर कोई कर्मचारी 48 घंटे से ज्यादा काम करता है तो उसे डबल रेट पर ओवरटाइम मिलेगा।
  • साप्ताहिक छुट्टी: पहले एक दिन की छुट्टी अनिवार्य थी, अब कर्मचारियों को तीन दिन तक छुट्टी का विकल्प दिया जा सकता है।
  • पीएफ योगदान: अगर बेसिक वेतन बढ़ेगा, तो पीएफ का योगदान भी बढ़ेगा।
  • ग्रेच्युटी पात्रता: पहले कर्मचारियों को 5 साल की सेवा के बाद ही ग्रेच्युटी मिलती थी, लेकिन अब कुछ सेक्टर में यह समय कम किया जा सकता है।

कर्मचारियों और नियोक्ताओं की राय

कर्मचारियों का कहना है कि यह बदलाव एक अच्छी पहल है। एक IT कर्मचारी ने कहा, “चार दिन काम और तीन दिन छुट्टी का विकल्प सुनकर अच्छा लग रहा है, लेकिन 12 घंटे लगातार काम करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है।” वहीं, एक अन्य कर्मचारी ने कहा, “छुट्टियां ज्यादा मिलेंगी तो परिवार के साथ अधिक समय बिता सकेंगे।”

वहीं, नियोक्ता इस बदलाव के बारे में थोड़े चिंतित हैं। उनका कहना है कि काम के घंटों में लचीलापन तो अच्छा है, लेकिन कर्मचारियों की थकावट और उनकी कार्य क्षमता पर इसका असर पड़ सकता है। कई कंपनियों को इस नियम को लागू करना मुश्किल हो सकता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां काम के घंटे अधिक होते हैं।

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कौन सी कंपनियों ने किया ट्रायल?

कुछ बड़ी कंपनियों ने इस नई व्यवस्था को ट्रायल के तौर पर अपनाना शुरू कर दिया है। TCS और Infosys जैसी बड़ी IT कंपनियों ने आंतरिक रूप से इस शेड्यूल का मूल्यांकन शुरू किया है। कुछ स्टार्टअप्स ने तो पहले से ही हफ्ते में चार दिन काम करने की व्यवस्था लागू कर दी है।

आपको क्या करना चाहिए?

  • अगर आप कर्मचारी हैं: अपनी कंपनी के HR या मैनेजर से इस नई श्रम संहिता के बारे में जानकारी लें। साथ ही, अपने कार्यदिवस को इस तरह से प्लान करें कि 12 घंटे का शेड्यूल आपके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर न पड़े।
  • अगर आप नियोक्ता हैं: कर्मचारियों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए नीतियों को लागू करें और सरकारी नोटिफिकेशन का पालन करें।

नई श्रम संहिता 2025, न केवल काम के घंटों में लचीलापन लाएगी, बल्कि कर्मचारियों के वेतन, ओवरटाइम और ग्रेच्युटी जैसे अधिकारों को भी मजबूत करेगी। हालांकि, चार दिन काम और तीन दिन छुट्टी का विकल्प सभी के लिए फायदेमंद होगा या नहीं, यह समय ही बताएगा। हर किसी को अपनी जरूरतों और काम के प्रकार को ध्यान में रखते हुए इस बदलाव को अपनाना होगा।

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