सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला! अब पत्नी को मिलेगा पति की संपत्ति में इतना अधिकार Wife Property Rights

Wife Property Rights – भारत में महिलाओं के संपत्ति अधिकारों को लेकर काफी समय से बहस चलती रही है। खासकर जब बात हिंदू महिलाओं की हो, तो अक्सर यह सवाल उठता है कि क्या पत्नी को पति की संपत्ति पर पूरा हक है या नहीं। इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक पुराना मामला फिर से चर्चा में है, और आने वाले समय में इस पर एक बड़ा फैसला आ सकता है जो लाखों महिलाओं की जिंदगी को सीधे तौर पर प्रभावित करेगा।

मामला क्या है?

ये कहानी 1965 की है। एक व्यक्ति, कंवर भान, ने अपनी पत्नी को जिंदगी भर के लिए एक ज़मीन दी थी। लेकिन इसमें एक शर्त थी—पत्नी की मृत्यु के बाद वो ज़मीन उनके उत्तराधिकारियों को मिलनी चाहिए। कुछ समय बाद, पत्नी ने इस ज़मीन को अपनी समझकर बेच दिया। बाद में कंवर भान के बेटे और पोते ने इस पर आपत्ति जताई और मामला कोर्ट तक पहुंच गया।

अदालतों के अलग-अलग फैसले

सबसे पहले, निचली अदालत ने पत्नी के पक्ष में फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 की धारा 14(1) के मुताबिक, अगर कोई महिला किसी भी तरीके से संपत्ति हासिल करती है, तो वो उसकी पूर्ण संपत्ति मानी जाएगी। यानी वह उसे बेच सकती है या जैसा चाहे कर सकती है।

Also Read:
New rules cibil score सिबिल स्कोर को लेकर RBI ने किए नए नियम लागू, जानिए RBI के नए नियम – New Rules Cibil Score

लेकिन बाद में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने इसके उलट राय दी। हाई कोर्ट ने कहा कि अगर वसीयत में कोई शर्त रखी गई है, तो उस शर्त का पालन करना ज़रूरी है। इस आधार पर पत्नी को ज़मीन बेचने का पूरा हक नहीं मिल सकता।

अब सुप्रीम कोर्ट में क्या हो रहा है?

9 दिसंबर 2024 को, सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने इस मामले को बड़ी बेंच को सौंप दिया ताकि एक बार में इसका स्थायी समाधान निकल सके। कोर्ट ने साफ कहा कि यह सिर्फ एक कानूनी मसला नहीं है, बल्कि इससे लाखों हिंदू महिलाओं के अधिकार जुड़े हुए हैं। खास बात यह भी है कि यह फैसला यह तय करेगा कि क्या कोई महिला अपने नाम पर मिली संपत्ति को स्वतंत्र रूप से बेच सकती है या नहीं।

धारा 14(1) और 14(2) का फर्क

इस मामले की जड़ में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की दो धाराएं हैं—14(1) और 14(2)। धारा 14(1) कहती है कि अगर किसी महिला को कोई संपत्ति मिलती है, चाहे वो विरासत में हो या उपहार में, तो वह उसकी पूर्ण संपत्ति होगी। वहीं, धारा 14(2) कहती है कि अगर संपत्ति किसी वसीयत या दस्तावेज़ के जरिए मिली है और उसमें कोई शर्त है, तो वो शर्त मान्य होगी।

Also Read:
Fitment factor सरकारी कर्मचारियों की सैलरी में बढ़ोतरी का बड़ा अपडेट: Fitment Factor बढ़ने से मिल सकती है बड़ी राहत

यही दो धाराएं आपस में टकराती हैं और यहीं से विवाद खड़ा होता है। सवाल यह है कि किस धारा को ज़्यादा अहमियत दी जाए?

महिलाओं के लिए इसका क्या मतलब है?

अगर सुप्रीम कोर्ट ये कहता है कि वसीयत में दी गई शर्तें मान्य हैं, तो महिलाओं को संपत्ति के मामले में सीमित अधिकार ही मिलेंगे। लेकिन अगर कोर्ट धारा 14(1) को प्राथमिकता देता है, तो इसका मतलब होगा कि महिलाएं ऐसी संपत्ति की पूरी मालिक होंगी और उसका जैसा चाहें, वैसा इस्तेमाल कर सकेंगी।

सिर्फ कानून नहीं, सोच भी बदलनी होगी

हमारे समाज में अक्सर महिलाओं को संपत्ति से वंचित रखा जाता है। बेटियों को तो कई बार उनका हिस्सा ही नहीं मिलता। यहां तक कि जब पत्नी को कुछ मिलता भी है, तो भी उस पर कई तरह की पाबंदियां लगा दी जाती हैं। ऐसे में सिर्फ कानून में बदलाव काफी नहीं है, हमें सोच भी बदलनी होगी।

Also Read:
किरायेदार हो? जानिए मकान मालिक आपसे क्या कर सकता है और क्या नहीं – Tenant Rights

जब महिलाएं आर्थिक रूप से स्वतंत्र होती हैं, तो वे अपने फैसले खुद ले पाती हैं और अपनी जिंदगी को बेहतर बना पाती हैं। इसलिए ज़रूरी है कि उन्हें उनकी संपत्ति पर पूरा हक मिले।

अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकी हैं। यह फैसला सिर्फ एक केस का समाधान नहीं होगा, बल्कि यह पूरे देश में महिलाओं के अधिकारों को एक नई दिशा देगा। उम्मीद की जा रही है कि कोर्ट एक ऐसा फैसला देगा जो महिलाओं को बराबरी का हक दिलाएगा और उन्हें आत्मनिर्भर बनाएगा।

Also Read:
Nhai decision NHAI का बड़ा फैसला: अब इन हाइवे रूट्स पर नहीं लगेंगा टोल टैक्स – NHAI Decision

Leave a Comment