RBI ने दी बड़ी चेतावनी! बिना बैलेंस का चेक देना पड़ सकता है भारी Cheque Bounce Punishment

Cheque Bounce Punishment – आजकल बैंकिंग के ज़माने में लोग अक्सर चेक से पैसों का लेनदेन करते हैं। ये तरीका काफी आसान और भरोसेमंद माना जाता है, खासकर जब बड़ी रकम का लेन-देन हो। लेकिन जैसा कि हर सुविधा के साथ कुछ जिम्मेदारियां भी आती हैं, वैसे ही चेक जारी करते वक्त भी कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। अगर किसी ने बिना सोचे समझे ऐसा चेक दे दिया जिसके लिए उसके खाते में पैसे ही नहीं हैं, तो ये सिर्फ एक छोटी सी गलती नहीं मानी जाएगी – इसके कानूनी नतीजे हो सकते हैं।

चेक बाउंस क्या होता है?

जब आप किसी को चेक देते हैं और वह शख्स उसे बैंक में जमा करता है, लेकिन खाते में पैसे कम होने की वजह से बैंक उस चेक को लौटा देता है, तो इसे चेक बाउंस कहा जाता है। इसके पीछे कई वजहें हो सकती हैं – जैसे खाते में पर्याप्त बैलेंस न होना, सिग्नेचर में गड़बड़ी, चेक पर ओवरराइटिंग करना या चेक पर लिखी गई राशि में शब्दों और अंकों का मेल न खाना।

चेक बाउंस पर क्या कहता है कानून?

भारत में चेक बाउंस से जुड़े मामलों को ‘परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881’ की धारा 138 के तहत देखा जाता है। इस धारा के तहत अगर कोई जानबूझकर या लापरवाही से ऐसा चेक देता है जिसके लिए उसके खाते में पैसे नहीं हैं, तो उसे अपराध माना जाता है। इस कानून का मकसद लेन-देन में भरोसा बनाए रखना है ताकि लोग एक-दूसरे के साथ धोखा न कर सकें।

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चेक बाउंस हो गया तो क्या करें?

अगर आपका दिया गया चेक बाउंस हो गया है, तो बैंक सबसे पहले चेक प्राप्त करने वाले व्यक्ति को इसकी जानकारी देगा। इसके बाद उस व्यक्ति को चेक जारी करने वाले को इसकी सूचना देनी होती है और उसे चेक की रकम चुकाने का एक मौका दिया जाता है।

कानून के मुताबिक, चेक प्राप्तकर्ता को एक महीने के अंदर एक कानूनी नोटिस भेजनी होती है, जिसमें भुगतान की मांग की जाती है। फिर चेक देने वाले के पास 15 दिन का समय होता है, अगर इस दौरान भी रकम नहीं दी जाती, तो फिर केस दर्ज किया जा सकता है।

कितनी हो सकती है सजा या जुर्माना?

अगर कोर्ट में यह साबित हो जाता है कि चेक देने वाला दोषी है, तो उसे सजा मिल सकती है। इसमें दो साल तक की जेल या चेक की रकम का दोगुना जुर्माना, या फिर दोनों की सजा दी जा सकती है। साथ ही, चेक की मूल राशि और उस पर लगने वाला ब्याज भी चुकाना पड़ सकता है।

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बैंक भी लगाता है जुर्माना

सिर्फ कोर्ट ही नहीं, बैंक भी चेक बाउंस होने पर जुर्माना लगाता है। यह जुर्माना हर बैंक में अलग हो सकता है लेकिन आमतौर पर यह कुछ सौ से लेकर हजार रुपये तक होता है। यह रकम सीधे आपके खाते से काट ली जाती है। इसलिए जब भी चेक जारी करें, पहले सुनिश्चित करें कि आपके खाते में उतनी रकम जरूर हो।

चेक की वैधता कितनी होती है?

भारत में चेक की वैधता उसकी तारीख से तीन महीने तक होती है। मतलब, अगर आपने किसी को चेक दिया है तो वह व्यक्ति तीन महीने के अंदर उसे बैंक में जमा कर सकता है। अगर वह इसे तीन महीने के बाद बैंक में लगाता है, तो चेक अमान्य हो जाता है और बैंक उसे स्वीकार नहीं करता।

चेक बाउंस से कैसे बचें?

चेक बाउंस की नौबत ही न आए, इसके लिए कुछ आसान से उपाय अपनाए जा सकते हैं।

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  • सबसे पहले, चेक देने से पहले यह जांच लें कि खाते में पर्याप्त पैसे हैं।
  • अगर पोस्ट डेटेड चेक दे रहे हैं, तो उस तारीख तक पैसा खाते में रखना जरूरी है।
  • चेक पर साफ-साफ और बिना किसी कटिंग या ओवरराइटिंग के लिखें।
  • सिग्नेचर वही करें जो बैंक में रजिस्टर्ड है।

चेक बाउंस को हल्के में न लें। यह एक गंभीर मामला है और इसके कारण आपको कोर्ट-कचहरी तक जाना पड़ सकता है। इसलिए जब भी चेक से लेन-देन करें, सतर्क रहें और नियमों का पालन करें। अगर गलती से चेक बाउंस हो भी जाए, तो समय रहते उसका समाधान करें ताकि किसी तरह की कानूनी कार्रवाई से बचा जा सके।

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