EMI Bounce – आजकल ज़िंदगी की ज़रूरतें पूरी करने के लिए लोग अक्सर होम लोन, कार लोन, या पर्सनल लोन ले लेते हैं। हर महीने इसकी EMI यानी किस्त चुकानी होती है। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि समय पर EMI नहीं भर पाते – वजह चाहे नौकरी जाना हो, पैसे की तंगी हो या कोई और परेशानी। ऐसे में जो स्थिति बनती है, उसे कहते हैं EMI Bounce।
अगर आपके साथ ऐसा हुआ है या आप लोन लेने का सोच रहे हैं, तो ये जानकारी आपके बहुत काम की है। चलिए, EMI Bounce से जुड़ी जरूरी बातें आसान भाषा में समझते हैं।
EMI Bounce होता क्या है?
जब आपके बैंक खाते में उस दिन पर्याप्त पैसे नहीं होते, जिस दिन EMI कटनी होती है, तो बैंक पेमेंट नहीं ले पाता। इसे ही EMI Bounce कहा जाता है।
अब सोचिए – बैंक को उसकी तय रकम नहीं मिली, तो वो तो नाराज़ होगा ही! न सिर्फ पेनाल्टी लगेगी, बल्कि ये आपकी क्रेडिट हिस्ट्री और स्कोर को भी नुकसान पहुंचा सकता है। यानी भविष्य में लोन लेना मुश्किल हो सकता है।
अगर EMI Bounce हो जाए तो क्या करें?
घबराने की ज़रूरत नहीं है। ऐसा किसी के साथ भी हो सकता है। बस समझदारी से काम लें और ये कदम उठाएं:
- बैंक से तुरंत बात करें: जैसे ही आपको पता चले कि EMI बाउंस हो गई है, अपने बैंक या लोन देने वाले से बात करें। उन्हें बताएं कि क्या वजह रही और समाधान के लिए रास्ता पूछें।
- बैंक मैनेजर से डायरेक्ट बात करें: कई बार बैंक EMI को रीशेड्यूल करने का ऑप्शन देता है या कुछ महीनों तक किस्त होल्ड करने का। इसलिए खुलकर अपनी दिक्कत शेयर करें।
- चार्जेस की जानकारी लें: EMI बाउंस होने पर बैंक ₹300 से ₹1000 तक का पेनाल्टी चार्ज ले सकता है। साथ ही देरी का ब्याज भी जुड़ता है। ये सब जानकर आगे की प्लानिंग करना आसान होगा।
- जल्द से जल्द पैसे का इंतज़ाम करें: जैसे ही पॉसिबल हो, EMI की रकम जमा करें। देरी से ना सिर्फ चार्ज बढ़ता है, बल्कि स्कोर भी बिगड़ता है।
EMI Bounce से बचने के आसान तरीके
- बजटिंग करें: लोन लेने से पहले सोच-समझकर प्लान करें कि आपकी इनकम EMI संभाल सकती है या नहीं। बेवजह का लोन मत लें।
- ऑटो-डेबिट सेट करें: EMI का पेमेंट ऑटोमेटिक हो जाए इसके लिए ऑटो-डेबिट चालू करें। इससे डेट भूलने का चांस नहीं रहेगा। बस खाते में पैसे रहना ज़रूरी है!
- इमरजेंसी फंड बनाएं: कम से कम 2-3 महीने की EMI जितना फंड अलग रखें ताकि अचानक किसी परेशानी में भी पेमेंट मिस न हो।
- एक साथ कई लोन ना लें: अगर पहले से लोन चल रहा है, तो तब तक नया लोन ना लें जब तक पुराना हैंडल ना हो जाए।
लोन लेने से पहले इन बातों का रखें ध्यान
- शर्तें अच्छे से पढ़ें: कागज़ पर साइन करने से पहले बैंक की सभी शर्तें समझ लें। बाद में कोई सरप्राइज़ ना मिले।
- सही बैंक और ब्याज दर चुनें: कम ब्याज वाला बैंक चुने ताकि EMI कम रहे और जेब पर बोझ भी हल्का हो।
- गारंटर बनने से पहले सोचें: अगर कोई जान-पहचान वाला आपको गारंटर बना रहा है, तो ज़रूर सोचें कि वो वाकई समय पर EMI भर पाएगा या नहीं। वरना लोन न चुकाने की जिम्मेदारी आप पर भी आ सकती है।
लोन जल्दी चुकाने के कुछ स्मार्ट तरीके
- बोनस या एक्स्ट्रा इनकम का इस्तेमाल करें: अगर आपको सैलरी में बोनस या कोई और इनकम हो, तो उसका थोड़ा हिस्सा लोन प्रीपेमेंट में लगाएं।
- बैंक स्विच करना भी ऑप्शन है: अगर कोई दूसरा बैंक कम ब्याज पर लोन दे रहा है, तो बैलेंस ट्रांसफर कर सकते हैं। इससे EMI और कुल ब्याज दोनों में बचत हो सकती है।
- छोटी अवधि का लोन लें: अगर आप जल्दी लोन खत्म करना चाहते हैं तो कम टेन्योर (loan term) वाला लोन लें। इससे ब्याज कम लगेगा और लोन जल्दी खत्म हो जाएगा।
EMI Bounce से बचना है तो थोड़ी समझदारी ज़रूरी है
EMI Bounce कोई बहुत बड़ी गलती नहीं है, लेकिन इसे बार-बार होने देना आपकी फाइनेंशियल हेल्थ को बिगाड़ सकता है। इसलिए EMI टाइम पर भरें, खर्चों की प्लानिंग करें, इमरजेंसी के लिए सेविंग्स बनाएं और लोन लेते वक्त सोच-समझकर कदम उठाएं।
अगर फिर भी EMI बाउंस हो जाए, तो घबराएं नहीं – बैंक से बात करें, हल निकालें और आगे से सावधानी रखें। यही समझदारी है।