EPFO Pension Scheme – अक्सर सोशल मीडिया या कुछ न्यूज रिपोर्ट्स में ये सुनने को मिलता है कि EPFO स्कीम के तहत हर प्राइवेट नौकरी करने वाले को रिटायरमेंट के बाद ₹9000 की पेंशन मिलेगी। ये सुनकर दिल को सुकून जरूर मिलता है, लेकिन क्या ये सच है? चलिए, इस पूरे मामले को आसान भाषा में समझते हैं।
EPFO क्या है?
EPFO यानी Employees’ Provident Fund Organisation। ये भारत सरकार की एक संस्था है, जो प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों की रिटायरमेंट से जुड़ी स्कीम्स को संभालती है। EPFO के तहत तीन स्कीम्स आती हैं:
- EPF (Provident Fund) – इसमें आपकी सैलरी का कुछ हिस्सा और उतना ही हिस्सा कंपनी देती है, जो आपके PF खाते में जमा होता है।
- EPS (Pension Scheme) – यही वो स्कीम है जिसमें रिटायरमेंट के बाद पेंशन मिलती है।
- EDLI (Insurance) – इसमें अगर कर्मचारी की मृत्यु हो जाए, तो उसके नॉमिनी को बीमा का पैसा मिलता है।
क्या सच में हर किसी को ₹9000 मिलते हैं?
अब बात करते हैं सबसे जरूरी सवाल की – क्या वाकई हर प्राइवेट कर्मचारी को ₹9000 की पेंशन मिलती है?
EPS के तहत जो पेंशन मिलती है, वो आपकी सैलरी, सर्विस यानी नौकरी की कुल अवधि, और EPS में कितना योगदान हुआ है – इन सब बातों पर निर्भर करती है।
कुछ खास पॉइंट्स:
- EPS के तहत अधिकतम वेतन ₹15,000 ही माना जाता है, भले ही आपकी सैलरी इससे ज्यादा हो।
- 10 साल से कम सर्विस होने पर पेंशन का हक नहीं होता।
- रिटायरमेंट की उम्र 58 साल है (कुछ मामलों में 50 साल पर भी पेंशन मिलती है लेकिन कटौती के साथ)।
EPS पेंशन कैसे कैलकुलेट होती है?
EPS पेंशन का फॉर्मूला काफी सिंपल है:
पेंशन = (पेंशन योग्य वेतन × सर्विस पीरियड) ÷ 70
उदाहरण के लिए:
अगर आपकी पेंशन योग्य सैलरी ₹15,000 है और आपने 30 साल नौकरी की है,
- तो पेंशन = (15,000 × 30) ÷ 70 = ₹6428.57 प्रति माह
यानि पूरे 30 साल की सेवा के बाद भी पेंशन लगभग ₹6400 के आसपास होती है।
कुछ अनुमानित पेंशन टेबल
सर्विस पीरियड (साल) | अनुमानित पेंशन |
---|---|
10 साल | ₹2,142 |
20 साल | ₹4,285 |
30 साल | ₹6,428 |
35 साल | ₹7,500 (मैक्स) |
तो ₹9000 पेंशन तभी मिल सकती है जब कुछ स्पेशल कंडीशन्स पूरी हों – जैसे हाई सैलरी, लंबी सेवा, और EPS में ज्यादा योगदान।
हाई पेंशन का ऑप्शन क्या है?
हाल ही में EPFO ने उन लोगों को एक मौका दिया जो 1995 से पहले EPS में जुड़े हुए थे और जिनकी सैलरी ₹15,000 से ज्यादा थी। ऐसे लोग चाहें तो अपने EPF से कुछ पैसा EPS में ट्रांसफर करके हाई पेंशन का ऑप्शन चुन सकते हैं।
उदाहरण के लिए – दिल्ली के रमेश जी ने 1992 से नौकरी की और हाई पेंशन के लिए EPF से ₹5 लाख EPS में ट्रांसफर किए। अब उन्हें ₹8000 महीना पेंशन मिल रही है। लेकिन ये एक लंबी और डॉक्यूमेंट्स वाली प्रोसेस है।
EPS की कुछ सीमाएं
- पेंशन की रकम ज्यादा नहीं होती।
- सैलरी चाहे जितनी भी हो, EPS में ₹15,000 से ज्यादा नहीं गिना जाता।
- अगर कर्मचारी की मौत हो जाए तो फैमिली को लिमिटेड पेंशन मिलती है।
तो साफ है कि “हर प्राइवेट कर्मचारी को ₹9000 पेंशन मिलेगी” कहना पूरी तरह सही नहीं है। हकीकत ये है कि पेंशन की रकम आपके काम के सालों और EPS में हुए योगदान पर टिकी होती है।
स्मार्ट प्लानिंग जरूरी है। सिर्फ EPS पर डिपेंड न रहें – NPS, PPF, म्यूचुअल फंड और SIP जैसे ऑप्शन्स को भी साथ में रखें। ताकि रिटायरमेंट के बाद की जिंदगी वाकई में आरामदायक हो।