High Court : घर-परिवार में संपत्ति को लेकर झगड़े कोई नई बात नहीं है। पहले ये विवाद भाई-भाई या पिता-पुत्र के बीच होते थे, लेकिन अब दामाद और ससुर के बीच भी संपत्ति को लेकर खींचतान शुरू हो गई है।
कई मामलों में दामाद ससुर की संपत्ति में हिस्सा मांगते हुए कोर्ट तक पहुँच रहे हैं। लेकिन अब इस पर केरल हाईकोर्ट ने एक सख्त और साफ-सुथरा फैसला सुनाया है, जिससे इस तरह के विवादों पर ब्रेक लग सकता है।
क्या कहा कोर्ट ने?
केरल हाईकोर्ट ने साफ कर दिया कि दामाद का ससुर की संपत्ति में कोई कानूनी हक नहीं है। मतलब साफ है – सिर्फ इसलिए कि आप दामाद हैं, ससुर की संपत्ति पर आपका कोई अधिकार नहीं बनता।
लेकिन अगर ससुर अपनी मर्जी से (बिना किसी दबाव के) अपनी खुद की कमाई की संपत्ति का कुछ हिस्सा दामाद को दे दें – जैसे वसीयत बनाकर या गिफ्ट डीड के ज़रिए – तब दामाद कानूनी रूप से उस संपत्ति पर दावा कर सकता है।
जब मामला बनता है विवाद का…
अगर यह साबित हो जाए कि ससुर ने किसी दबाव, धमकी या धोखाधड़ी के चलते संपत्ति दामाद को दी, तो फिर दामाद की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। ऐसी स्थिति में वह संपत्ति वापस ली जा सकती है और दामाद पर केस भी चल सकता है।
बहू का क्या?
जैसे दामाद को ससुर की संपत्ति में कोई हक नहीं, वैसे ही बहू को भी ससुराल की संपत्ति पर सीधा हक नहीं होता। हां, अगर पति की मृत्यु हो जाए तो उसे पति के हिस्से में मिली संपत्ति का हक मिल सकता है।
पैतृक और स्वअर्जित संपत्ति का फर्क
यह समझना बहुत ज़रूरी है कि स्वअर्जित संपत्ति (जो खुद कमाई है) और पैतृक संपत्ति (जो विरासत में मिली है) में फर्क होता है। स्वअर्जित संपत्ति पर मालिक का पूरा हक होता है – वो जिसे चाहे दे सकता है। वहीं, पैतृक संपत्ति में परिवार के सभी सदस्य हिस्सेदार होते हैं।
दस्तावेजों की ताकत
संपत्ति से जुड़े सभी दस्तावेज – जैसे वसीयत, बिक्री-पत्र, उत्तराधिकार प्रमाणपत्र – बहुत कीमती होते हैं। इन्हें सुरक्षित रखना चाहिए क्योंकि अगर विवाद होता है तो यही कागज़ आपको कानूनी सुरक्षा दे सकते हैं।
समाधान क्या है?
अगर परिवार में संपत्ति को लेकर विवाद है, तो सबसे पहले कोशिश होनी चाहिए आपसी समझौते की। नहीं बने बात, तो मध्यस्थता और आखिर में कोर्ट का रास्ता अपनाना चाहिए।
केरल हाईकोर्ट का यह फैसला साफ करता है कि “दामाद” होने से किसी को ससुर की संपत्ति पर हक नहीं मिल जाता। संपत्ति विवाद से बचने के लिए सही जानकारी, दस्तावेजों की सुरक्षा और समय पर कानूनी सलाह बहुत जरूरी है।