इनकम टैक्स का बड़ा अलर्ट! घर में इतना कैश रखा तो पड़ सकता है भारी Income Tax Rule

Income Tax Rule – आज के दौर में जहां डिजिटल पेमेंट और ऑनलाइन ट्रांजेक्शन आम हो चुके हैं, वहीं अब भी कई लोग अपनी सुविधा और सुरक्षा के चलते नकद पैसे घर में रखना पसंद करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि घर में नकद रखने को लेकर इनकम टैक्स विभाग के क्या नियम हैं? अगर नहीं, तो आपको ये बातें ज़रूर जाननी चाहिए ताकि किसी भी कानूनी परेशानी से बचा जा सके।

घर में कितना कैश रखना है सही?

इनकम टैक्स विभाग ने घर में कैश रखने की कोई फिक्स लिमिट नहीं बनाई है। मतलब ये कि आप अपनी कमाई के हिसाब से जितना चाहें उतना कैश घर में रख सकते हैं। लेकिन एक बात का ध्यान रखना ज़रूरी है – उस रकम का हिसाब आपके पास होना चाहिए। यानी अगर आपसे कभी पूछा जाए कि ये पैसा कहां से आया, तो आप उसका वैध स्रोत बता सकें।

अगर आय का स्रोत नहीं बता पाए तो क्या होगा?

अगर टैक्स अधिकारी या कोई जांच एजेंसी आपके घर पर छापेमारी करती है और आपके पास बड़ी रकम में कैश मिलता है, तो सबसे पहले वे आपसे पूछेंगे कि पैसा कहां से आया। अगर आप इसका संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए, तो ये पैसा ज़ब्त किया जा सकता है। इसके अलावा, इनकम टैक्स एक्ट के तहत आप पर भारी जुर्माना भी लगाया जा सकता है। गंभीर मामलों में कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है।

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इसलिए जरूरी है कि आप जो भी पैसा कमा रहे हैं, उसका हिसाब रखें और उसे इनकम टैक्स रिटर्न में सही-सही दिखाएं।

बैंक में कैश जमा करने या निकालने के क्या नियम हैं?

अगर आप बैंक से पचास हजार रुपये से ज्यादा नकद निकालते हैं या जमा करते हैं, तो पैन कार्ड देना ज़रूरी होता है। ये नियम इसलिए बनाया गया है ताकि बैंकों को ट्रांजेक्शन की निगरानी में आसानी हो और संदिग्ध गतिविधियों को रोका जा सके।

इसके अलावा, अगर आपने पिछले तीन सालों से टैक्स रिटर्न नहीं भरा है और आप एक साल में बीस लाख रुपये से ज्यादा की नकदी निकालते हैं, तो उस पर टीडीएस यानी टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स लगाया जा सकता है। बीस लाख से ऊपर दो प्रतिशत और एक करोड़ से ऊपर पांच प्रतिशत तक टैक्स कट सकता है।

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आईटीआर भरना क्यों है ज़रूरी?

जो लोग समय पर इनकम टैक्स रिटर्न भरते हैं, उन्हें कई फायदे होते हैं। जैसे कि आपको बैंक लोन लेने में आसानी होती है, क्रेडिट कार्ड के लिए अप्लाई करना सरल होता है और विदेश यात्रा के लिए वीज़ा आवेदन में भी मदद मिलती है। साथ ही, बड़े ट्रांजेक्शन करते समय अतिरिक्त टैक्स कटने से भी बचा जा सकता है।

इसके अलावा, अगर आप भविष्य में घर या ज़मीन खरीदने की सोच रहे हैं, तो इनकम टैक्स रिटर्न आपके फाइनेंशियल बैकग्राउंड का प्रूफ बन सकता है।

डिजिटल लेनदेन का बढ़ता चलन

आज सरकार कैशलेस इकॉनॉमी को बढ़ावा देने में जुटी है। डिजिटल पेमेंट जैसे यूपीआई, नेट बैंकिंग और मोबाइल वॉलेट का इस्तेमाल तेज़ी से बढ़ा है। इससे ट्रांजेक्शन की पारदर्शिता बनी रहती है और टैक्स चोरी की संभावना कम हो जाती है। हालांकि, कुछ लोग अब भी नकद लेनदेन को सुरक्षित मानते हैं। लेकिन उन्हें ये समझना चाहिए कि बड़े नकद लेनदेन पर भी नज़र रखी जाती है और उस पर सवाल उठ सकते हैं।

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टैक्स से जुड़ी परेशानियों से कैसे बचें?

अगर आप टैक्स से जुड़ी किसी भी परेशानी से बचना चाहते हैं, तो सबसे जरूरी है कि आप अपनी पूरी आमदनी को घोषित करें और समय पर रिटर्न भरें। अपने सभी लेनदेन का रिकॉर्ड रखें, खासतौर पर जब आप कोई बड़ा खर्च करें या कैश में कोई बड़ी राशि लें-दें। अगर आप बिजनेस करते हैं, तो अपने बिजनेस से जुड़ी हर इनकम और खर्च का ब्योरा रखें। साथ ही, टैक्स बचाने के लिए सरकारी मान्यता प्राप्त इन्वेस्टमेंट जैसे पीपीएफ, एलआईसी, एनएससी या ईएलएसएस का फायदा उठाएं।

अगर आपके पास नकद पैसा है, तो डरने की जरूरत नहीं है, बस जरूरी है कि उसका हिसाब आपके पास हो। कोई भी बड़ी राशि घर में रखने से पहले उसकी वैधता सुनिश्चित करें। टैक्स नियमों की अनदेखी करना आपको मुश्किल में डाल सकता है, इसलिए समझदारी इसी में है कि आप नियमों का पालन करें।

आप चाहें तो किसी चार्टर्ड अकाउंटेंट या टैक्स एक्सपर्ट से भी सलाह ले सकते हैं ताकि आपकी कोई गलती न हो और भविष्य में कोई परेशानी खड़ी न हो।

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