New Labor Rule – 2025 में भारत के कामकाजी लोगों के लिए एक बड़ी खबर आई है – नया श्रम संहिता। अब आपको हफ्ते में 5 या 6 दिन ऑफिस जाने की ज़रूरत नहीं, बस 4 दिन काम करो और पूरे 3 दिन की छुट्टी एन्जॉय करो! सुनने में तो बहुत मस्त लग रहा है, लेकिन इसके साथ कुछ शर्तें भी हैं, जो जाननी जरूरी हैं।
क्या है नया प्लान?
सरकार ने 2025 से एक नया सिस्टम लागू किया है जिसमें कंपनियों को ये आज़ादी दी गई है कि वो चाहें तो अपने कर्मचारियों से हफ्ते में सिर्फ 4 दिन काम लें। लेकिन इन चारों दिनों में काम के घंटे बढ़ा दिए गए हैं। यानी अब एक दिन में 12 घंटे काम करना होगा। कुल मिलाकर हफ्ते के 48 घंटे काम करना ज़रूरी रहेगा।
मुख्य बातें संक्षेप में
- हफ्ते में 48 घंटे का काम ज़रूरी है।
- कंपनियां 4, 5 या 6 दिन का कोई भी वर्किंग मॉडल चुन सकती हैं।
- छुट्टियों की संख्या में कोई कटौती नहीं होगी।
- चार दिन काम, तीन दिन छुट्टी का ऑप्शन उपलब्ध है।
अब आपके दिमाग में एक सवाल ज़रूर आ रहा होगा – “अगर हम सिर्फ 4 दिन काम करेंगे तो सैलरी तो कम नहीं होगी न?” जवाब है – नहीं होगी। जब तक आप 48 घंटे का हफ्ता पूरा कर रहे हैं, आपकी सैलरी जैसी थी वैसी ही रहेगी।
एक झलक बदलावों की
बिंदु | पहले (5-6 दिन काम) | अब (4 दिन काम) |
---|---|---|
कुल घंटे/सप्ताह | 48 घंटे | 48 घंटे |
रोज़ाना काम के घंटे | 8-9 घंटे | 12 घंटे |
साप्ताहिक छुट्टी | 1-2 दिन | 3 दिन |
सैलरी | यथावत | यथावत |
लोग क्या कह रहे हैं?
मुंबई की एक IT कंपनी में काम करने वाली पूजा ने कहा, “तीन दिन की छुट्टी मिलना एक राहत है। हाँ, शुरुआत में 12 घंटे बैठना मुश्किल लगेगा, लेकिन फिर भी फैमिली और खुद के लिए वक्त निकाल पाऊंगी।”
क्या फायदे मिल सकते हैं?
सरकार का कहना है कि इस बदलाव से वर्क-लाइफ बैलेंस बेहतर होगा। खासकर IT सेक्टर और स्टार्टअप्स के लिए ये बहुत फायदेमंद हो सकता है। कुछ फायदे देखिए:
- कर्मचारियों को मानसिक और शारीरिक राहत मिलेगी।
- कर्मचारी ज्यादा फ्रेश होकर काम करेंगे तो प्रोडक्टिविटी भी बढ़ेगी।
- ऑफिस स्पेस और खर्चों में कमी आ सकती है।
ओवरटाइम और छुट्टियों के नए नियम
अब ओवरटाइम और छुट्टियों के नियम भी थोड़ा बदले हैं:
- अगर कोई कर्मचारी हफ्ते के 48 घंटे से ज्यादा काम करता है, तो उसे ओवरटाइम मिलेगा।
- एक दिन में 12 घंटे से ज्यादा काम नहीं कराया जा सकता।
- ओवरटाइम की गिनती अब 15 मिनट से शुरू होगी।
- साल में कम से कम 24 पेड लीव मिलेंगी।
- 180 दिन की सर्विस के बाद ही लीव क्लेम की जा सकेगी।
पीएफ और सैलरी में बदलाव?
नए नियम के हिसाब से अब आपकी बेसिक सैलरी आपकी कुल सैलरी की 50% या उससे ज्यादा होनी चाहिए। इससे PF और ग्रेच्युटी जैसी सुविधाएं मजबूत होंगी।
असर कुछ यूं होगा
- PF में योगदान बढ़ेगा यानी रिटायरमेंट के बाद मोटी रकम।
- इन-हैंड सैलरी थोड़ी कम हो सकती है।
- ग्रेच्युटी और ESI में सुधार होगा।
हर किसी के लिए आसान नहीं
अब ये मत सोचिए कि ये बदलाव सबके लिए फायदेमंद ही है। कुछ लोगों को ये भारी भी पड़ सकता है:
- फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों के लिए 12 घंटे शिफ्ट बहुत थका देने वाली हो सकती है।
- कस्टमर सर्विस सेक्टर (जहां 24×7 काम होता है) में इसे लागू करना मुश्किल होगा।
- छोटे व्यापारियों के लिए शेड्यूल मैनेज करना टेढ़ी खीर बन सकता है।
तो क्या ये बदलाव आपके लिए अच्छा है?
अगर आप किसी ऐसे सेक्टर में हैं जहां काम लचीलापन देता है, तो यह मॉडल आपके लिए बढ़िया हो सकता है। खासकर महिलाएं, यंग प्रोफेशनल्स और वो लोग जो वर्क-लाइफ बैलेंस मिस कर रहे थे – उनके लिए ये एक पॉजिटिव स्टेप है।
हाँ, थोड़ा-सा एडजस्ट करना पड़ेगा लेकिन 3 दिन की छुट्टी की सोच ही दिल खुश कर देती है न?