RBI Guidelines : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लोनधारकों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। अब से बैंक और अन्य वित्तीय संस्थान फ्लोटिंग रेट लोन के प्रीपेमेंट या फोरक्लोजर पर कोई अतिरिक्त शुल्क (चार्ज) नहीं लगाएंगे। यह निर्णय व्यक्तिगत और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSEs) के लिए एक बड़ी राहत है।
क्या है नया नियम?
RBI ने एक ड्राफ्ट सर्कुलर जारी किया है जिसमें कहा गया है कि सभी वित्तीय संस्थान फ्लोटिंग रेट लोन पर प्रीपेमेंट या फोरक्लोजर के समय कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लेंगे।
यह नियम उन लोन पर लागू होगा जो व्यक्तिगत उपयोग के लिए हैं और जिनका उद्देश्य व्यवसाय नहीं है। इसके अलावा, MSEs के लिए ₹7.50 करोड़ तक के व्यवसायिक लोन पर भी यह नियम लागू होगा। हालांकि, Tier-I और Tier-II प्राइमरी (अर्बन) को-ऑपरेटिव बैंक और बेस लेयर NBFCs इस नियम से बाहर हैं।
ग्राहकों को क्या मिलेगा फायदा?
- प्रीपेमेंट और फोरक्लोजर पर राहत: अब ग्राहक बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के अपने लोन को समय से पहले चुका सकते हैं।
- लॉक-इन पीरियड की अनिवार्यता नहीं: बैंक अब लोन पर न्यूनतम लॉक-इन पीरियड नहीं रख सकेंगे।
- पारदर्शिता और उपभोक्ता सुरक्षा: बैंक किसी भी शुल्क को पूर्व में बताए बिना नहीं लगा सकेंगे।
बैंक और NBFCs के लिए दिशा-निर्देश
RBI ने यह भी निर्देशित किया है कि यदि बैंक या NBFCs प्रीपेमेंट या फोरक्लोजर पर शुल्क लेते हैं, तो वह उनकी बोर्ड-स्वीकृत नीति के अनुसार होना चाहिए। ये शुल्क लोन की बकाया राशि या स्वीकृत सीमा के आधार पर होंगे। इसके अलावा, बैंक और NBFCs को लोन चुकता करने के लिए कोई न्यूनतम लॉक-इन पीरियड नहीं रखना चाहिए।
MSEs के लिए विशेष प्रावधान
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSEs) के लिए ₹7.50 करोड़ तक के व्यवसायिक लोन पर यह नियम लागू होगा। हालांकि, Tier-I और Tier-II प्राइमरी (अर्बन) को-ऑपरेटिव बैंक और बेस लेयर NBFCs इस नियम से बाहर हैं।
अंतिम विचार
RBI का यह कदम उपभोक्ताओं के हित में है और वित्तीय संस्थानों को जिम्मेदार तरीके से लोन देने के लिए प्रेरित करेगा। यह निर्णय लोनधारकों को अधिक स्वतंत्रता और पारदर्शिता प्रदान करेगा। RBI ने इस ड्राफ्ट सर्कुलर पर 21 मार्च 2025 तक सार्वजनिक प्रतिक्रिया आमंत्रित की है।
प्रमुख बिंदु:
- प्रीपेमेंट और फोरक्लोजर पर राहत: अब लोनधारक बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के लोन चुका सकते हैं।
- लॉक-इन पीरियड की अनिवार्यता नहीं: बैंक अब लोन पर न्यूनतम लॉक-इन पीरियड नहीं रख सकेंगे।
- पारदर्शिता और उपभोक्ता सुरक्षा: बैंक किसी भी शुल्क को पूर्व में बताए बिना नहीं लगा सकेंगे।
- MSEs के लिए विशेष प्रावधान: ₹7.50 करोड़ तक के व्यवसायिक लोन पर यह नियम लागू होगा।