RBI New Rules – आज के समय में जब महंगाई हर किसी की जेब पर भारी पड़ रही है, घर खरीदना किसी सपने से कम नहीं लगता। ऐसे में लोग बैंक से होम लोन लेते हैं ताकि अपने सपनों का आशियाना बना सकें। लेकिन लोन की ईएमआई और बढ़ती ब्याज दरें कई बार सिरदर्द बन जाती हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक ने होम लोन नियमों में एक बड़ा बदलाव किया है, जिससे लाखों लोनधारकों को राहत मिल सकती है।
आरबीआई ने क्या बदला है?
अब बैंक फ्लोटिंग रेट लोन यानी ऐसी ब्याज दरें जो समय के साथ बदलती हैं, उनमें ज्यादा पारदर्शिता बरतेंगे। यानी अगर आपने पहले ऊंची ब्याज दर पर लोन लिया है और अब बाज़ार में दरें कम हो गई हैं, तो आपको भी उस कम दर का फायदा मिलना चाहिए।
आरबीआई ने बैंकों को साफ निर्देश दिए हैं कि वे ग्राहकों को हर बदलाव की जानकारी दें और उन्हें कम ब्याज दर पर शिफ्ट करने का मौका दें। इसके लिए कोई छुपा चार्ज या अनावश्यक शुल्क नहीं लिया जाएगा।
ग्राहकों को क्या फायदा होगा?
अब अगर किसी ने पहले 9 प्रतिशत की दर से होम लोन लिया था और अब दरें 7.5 प्रतिशत तक आ गई हैं, तो वह व्यक्ति नई दर पर अपने लोन की किश्तें चुका सकता है। इससे हर महीने की ईएमआई कम हो जाएगी और लंबे समय में लाखों रुपये की बचत होगी।
एक आसान उदाहरण समझें
मान लीजिए रमेश नाम के व्यक्ति ने दो साल पहले तीस लाख रुपये का लोन बीस साल के लिए लिया था। उस समय ब्याज दर नौ प्रतिशत थी और उनकी हर महीने की किस्त करीब सत्ताईस हजार रुपये थी। अब बाजार में वही दर घटकर सात दशमलव पांच प्रतिशत हो गई है। अगर रमेश अब इस नई दर पर शिफ्ट करते हैं तो उनकी मासिक किस्त लगभग पच्चीस हजार हो जाएगी। यानी हर महीने दो हजार रुपये की बचत और बीस साल में यह बचत पांच लाख से भी ज्यादा होगी।
बैंक अब कैसे काम करेंगे?
आरबीआई ने कहा है कि बैंक हर छह महीने में ग्राहकों को उनकी मौजूदा ब्याज दर और उस पर लागू शर्तों की जानकारी देंगे। अगर ग्राहक दर कम करवाना चाहते हैं तो यह प्रक्रिया ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से आसान होनी चाहिए। अगर किसी बैंक ने जानकारी छुपाई या प्रक्रिया को कठिन बनाया, तो उस पर सख्त कार्रवाई की जा सकती है।
अगर आपने पहले से लोन ले रखा है तो क्या करें?
पहली बात, अपने बैंक से संपर्क करें और पूछें कि आपकी मौजूदा ब्याज दर क्या है। फिर यह जांचें कि अन्य बैंकों में दरें कितनी हैं। अगर आपकी दरें ज्यादा हैं तो बैंक से कहें कि वे आपको नई दर पर शिफ्ट करें। आरबीआई के निर्देश का हवाला दें और जरूरत पड़े तो लिखित में मांग करें।
जरूरी कागजात तैयार रखें
इसके लिए आपको लोन अकाउंट स्टेटमेंट, मूल लोन एग्रीमेंट और बैंक की वेबसाइट से नई ब्याज दरों की जानकारी लेनी होगी। ये सभी चीजें मदद करेंगी यह साबित करने में कि आपको कम दर पर शिफ्ट किया जाना चाहिए।
अगर बैंक सहयोग नहीं करे तो क्या करें?
अगर बैंक टालमटोल करता है या जानकारी नहीं देता, तो घबराएं नहीं। आप सीधे आरबीआई के ग्राहक सेवा पोर्टल पर शिकायत दर्ज कर सकते हैं। इसके अलावा बैंकिंग लोकपाल से भी संपर्क किया जा सकता है। और अगर कोई समाधान नहीं मिलता, तो आप अपने लोन को किसी अन्य बैंक में ट्रांसफर भी कर सकते हैं, जहां आपको बेहतर दर और सेवा मिले।
क्या बैलेंस ट्रांसफर सही रहेगा?
अगर आपके लोन की अवधि में अभी दस साल या उससे ज्यादा का समय बचा है, तो बैलेंस ट्रांसफर एक समझदारी भरा कदम हो सकता है। इससे न सिर्फ ब्याज की दरें कम होंगी, बल्कि आपकी मासिक किस्तें भी घट जाएंगी। साथ ही, कई बैंक प्रोसेसिंग फीस जैसे चार्ज भी माफ कर देते हैं।
मेरे एक जानकार ने 2020 में पच्चीस लाख रुपये का लोन आठ दशमलव सात पांच प्रतिशत की दर से लिया था। कुछ समय बाद जब दरें कम हुईं, तो उन्होंने बैंक से संपर्क किया। पहले बैंक ने साफ मना कर दिया, लेकिन जब उन्होंने आरबीआई की गाइडलाइंस बताईं तो बैंक ने दर घटा दी। अब उनकी ईएमआई करीब दो हजार रुपये कम हो गई है और वह हर महीने अच्छी-खासी रकम बचा पा रहे हैं।
अगर आपने भी होम लोन लिया है या लेने की सोच रहे हैं, तो समय-समय पर अपनी लोन स्थिति की समीक्षा जरूर करें। बाजार में क्या दरें चल रही हैं, यह देखें और अपने अधिकारों के बारे में जागरूक रहें। इससे आप अनावश्यक ब्याज से बच पाएंगे और अपने सपनों का घर बनाने की राह आसान होगी।